द स्कूटी इन्स्टिट्यूट - अब मुश्किल नही कुछ भी
हम सब सपने देखते है, हम सब के मन में बहुत सी इच्छायें होती है, आशाएं होती है. उन सपनो को पूरा करने के लिए, उन इच्छाओं को वास्तविकता का स्वरूप देने के लिए, बहुत सी चीज़ो की आवश्यकता होती है. अगर वह सारे साधन हमे सही समय पर नही मिल पाते हैं तो हुमरी वह इच्छा, वह सपने कही दबे से हमारे मन मैं पड़े रह जाते हैं.
ऐसे ही मन में दबाए हुए सपनो की कहानी दर्शाती है हमारी आम भारतीय नारी की आम जिन्दगि.
इस आम भारतीय नारी की आम जिंदगी को कुछ खास बनाने के लिए, उनके जीवन में आत्मविश्वास पैदा करने के लिए,
उनको कूपमंडूकता की मानसिकता से बाहर लाने के लिए, उनके सोए हुए सपनो को जगाने के लिए,
ऐवं उनकी दबी हुई इच्छाओं को जागृत करने के लिए कई मध्यमो की आवश्यकता हैं. ऐसे मध्यम जो की उनके जीवन में एक ऐसा मौका लाए जहाँ वो अपने आप को साबित करे,
और अपने अंदर की झिझक और भय को मार कर के 21 वी सदी की सशक्त ऐवं सबल नारी बन सके.
ऐसे ही एक माध्यम की परिकल्पना करते हुए टी वी एस मोटोर कंपनी ने एक सामाजिक अभियान की शुरआत की - भारत के विभिन्न शहरों में 'द स्कूटी इन्स्टिट्यूट' स्थापित कर.
द स्कूटी इन्स्टिट्यूट विशेष रूप से बालिकाओं ऐवं महिलाओं की आम जिंदगी की ज़रूरतों को देखकर स्थापित किया गया है.
यह आम ज़रूरत हैं दु पहिया वाहन चलाना जानना, जिससे सिर्फ ना उनकी जीवन मैं आत्मनिर्भरता बड़ेगी बल्कि, एक नया आत्मविश्वास पैदा होगा जो की उन्हे आगे बड़ने में एक अहंभूमिका निभाएगा.
इस इन्स्टिट्यूट में 16 साल से उपर की बालिकाओं ऐवं महिलायों को स्कूटी चलाने का छह दिवसीय प्रशिक्षण, कंपनी द्वारा प्रशिक्षित महिलयों द्वारा दिया जाता हैं.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट मैं सिर्फ स्कूटी चलाना ही नही बल्कि ज़िम्मेदारी से ऐवं सुरक्षा पूर्वक स्कूटी चलाना सिखाया जाता हैं.
इस इन्स्टिट्यूट मैं आने वाली महिलाओं को यातायात सम्बन्धी सारी जानकारी दी जाती है, साथ ही साथ उनको लेरनिंग लाइसेन्स बना के दिया जाता है. प्रशिक्षण पूरा होने पर कंपनी द्वारा सीखी हुई महिला को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट में महिला की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है. इसके फलस्वरूप, प्रशिक्षण के दौरान हेल्मेट, एल्बो गार्ड, नी गार्ड ऐवान फर्स्ट ऐड की व्यवस्था की जाती है.
इस कार्यक्रम की सबसे अच्छी बात यह हैं की इसमे स्कूटी, पेट्रोल, कंपनी द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है
इसके अलावा महिलाओं को उनकी सुविधानुसार अनुकूल समय ऐवं स्थल पर स्कूटी चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट की सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता ही की गत सात महीनो में 16 से लेकर 70 साल तक की करीबन 7000 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है. इन महिलाओं से बात करने पर पता चलता है की स्कूटी इन्स्टिट्यूट ने उनके जीवन में एक ऐसा बदलाव लाया है जिससे उनके
मन मैं उमंग सी जागी है की जब आज वह स्कूटी चलना सीख गयी है तो कल वह कार और हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सके.
यही नही स्कूटी चलाने से उनकी दिनचर्या मैं भी काफी बदलाव सा आया है, एक ऐसा बदलाव जिससे वह अपने लिए ऐवं अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा समय निकल सकती है, और किसी भी काम के लिए उन्हे किसी पर आश्रित या निर्भर होना नही पड़ता है.
टी वी एस मोटोर कंपनी, स्कूटी इन्स्टिट्यूट के मध्यम से भारत के विभिन्न शहरो के नागरिकों विशेषतः विद्यार्तीओ को यातायात से
संबधी जानकारी देने हेतु स्कूल ऐवं कॉलेजस में यातायात सुरक्षा कार्यक्रम भी करवाती है.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट का संकल्प है की नागरिको खास तौर से महिलाओं को यातायात सुरक्षा के बारे मैं जानकारी देने के साथ साथ उनको सही ढंग से से स्कूटी चलाने की शिक्षा दी जाए.
जिससे की एक ऐसा समाज का निर्माण हो जहाँ हर नागरिक एक जागरूक नागरिक हो, और अपनी सुरक्षा के साथ दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट में एक ऐसा अनुभव की पारपति होती है जो की एक नारी को सबला, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनती है.
और यही सब एक नारी के जीवन को सफल बनने की कुंजी है.
स्कूटी इन्स्टिट्यूट के माध्यम से आपके पास अब साधन उपलब्ध हैं. स्कूटी इन्स्टिट्यूट एक प्रयास हैं, भारत की महिलओं को उनकी
इच्छाओं को पूरा करने का, उनके सपनो को साकार करने में सहायक बनने का., और यह कहने का -
आशाएं खिले दिल की
उमीदें हँसे दिल की
अब मुश्किल नही कुछ भी
नही कुछ भी.
1 comment:
A nice example of Corporate Social Responsibility and Business with Ethics.Am impressed by your hindi writng!!
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